best shikva shayari

गिला शिकवा शायरी (shikva shayari)
“शिकवा” प्रसिद्ध उर्दू कविता है जिसे अल्लामा इक़बाल ने लिखा है। इस कविता में, इक़बाल भगवान से अपनी शिकायतें और निराशाओं को व्यक्त करते हैं, यह सवाल करते हैं कि क्यों मुसलमानों को उनकी भक्ति के बावजूद दुख झेलना पड़ा। वह पुराने इस्लामी सभ्यताओं की महिमा पर ध्यान देते हैं और मुसलमानों की शक्ति और प्रभाव के पतन पर दुःख व्यक्त करते हैं। उनके जोशीले और प्रभावशाली शेरों के माध्यम से, इक़बाल की कविता एक प्रकार की लालसा, निराशा और आत्म-प्रतिबिंब तथा पुनर्जीवन का आह्वान प्रकट करती है।
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हमने सोचा कि सिर्फ हम ही उन्हें चाहते हैं; मगर उनके चाहने वालों का तो काफ़िला निकला; मैंने सोचा कि शिकायत करू खुदा से; मगर वह भी उनके चाहने वालों में निकला!
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अनजाने में दिल गँवा बैठे, इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे, उनसे क्या गिला करे भूल हमारी थी, जो बिना दिल वालों से दिल लगा बैठे !!
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अपना समझा तो कह दिया वरना, गैरो से तो कोई गिला नहीं होता, कुछ न कुछ पहले खोना पड़ता है, मुफ्त में तो कोई तज़ुर्बा नहीं मिलता !!
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अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया; तो किसी ने अपना बनाकर 'वक़्त' गुजार लिया!
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अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है, एक नज़र मेरी तरफ देख, तेरा जाता क्या है, मेरी बर्बादी में तू भी है बराबर का शामिल, मेरे किस्से मेरे यारों को सुनाता क्या है !!
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आए ही तो थे तेरे दर पर, ऐसा क्या कर गये थे हम, तुम चाहने लगे हो औरो को, ऐसा क्या मर गये थे हम !!
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आग से सीख लिया हम ने यह करिश्मा भी, बुझ भी जाना पर बड़ी देर तक सुलगते रहना, जाने किस उम्र में जाएगी यह आदत अपनी, रूठना उससे और औरों से उलझते रहना !!
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इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं! सब हैं यहाँ मगर कोई अपना नहीं! दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं! है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं!
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इंतज़ार करते करते वक़्त क्यों गुजरता नहीं, सब है यहाँ मगर कोई अपना नहीं, दूर नहीं पर फिर भी वो पास नहीं, है दिल में कहीं पर आँखों से दूर कहीं !!
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इंतजार किस पल का किये जाते हो यारों, प्यासो के पास समंदर नही आने वाला, लगी है प्यास तो चलो रेत निचोड़ी जाए, अपने हिस्से में समंदर नहीं आने वाला !!
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इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है, खामोशियों की आदत हो गई है, ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से, अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाईयों से हो गई है !!
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इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है; खामोशियों की आदत हो गई है; ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से; अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाईयों से हो गई है।
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इन आंखो मे आंसू आये न होते, अगर वो पीछे मुडकर मुस्कुराये न होते, उनके जाने के बाद बस येही गम रहेगा, की काश वो हमारी ज़िन्दगी मे दूबारा आये न होते !!
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इन आंखो मे आंसू आये न होते; अगर वो पीछे मुडकर मुस्कुराये न होते! उनके जाने के बाद बस येही गम रहेगा; कि काश वो हमारी ज़िन्दगी मे दूबारा आये न होते!
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इस कदर हम यार को मनाने निकले! उसकी चाहत के हम दिवाने निकले! जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा! उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले!
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इस कदर हम यार को मनाने निकले, उसकी चाहत के हम दिवाने निकले, जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा, उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले !!
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इस कदर हम यार को मनाने निकले, उसकी चाहत के हम दीवाने निकले, जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा, उसके पास वक़्त ना होने के बहाने निकले !!
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उन लोगो का क्या हुआ होगा, जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा, किनारे पर खड़े लोग क्या जाने, डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा !!
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उन लोगों का क्या हुआ होगा; जिनको मेरी तरह ग़म ने मारा होगा; किनारे पर खड़े लोग क्या जाने; डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा।
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उनके होंठों पे मेरा नाम जब आया होगा, ख़ुद को रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा, सुन के फ़साना औरो से मेरी बर्बादी का, क्या उनको अपना सितम याद ना आया होगा ?
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उनके होंठों पे मेरा नाम जब आया होगा; ख़ुद को रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा; सुन के फ़साना औरों से मेरी बर्बादी का; क्या उनको अपना सितम न याद आय होगा?
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उन्हे एहसास हुआ है इश्क़ का हमे रुलाने के बाद, अब हम पर प्यार आया है दूर चले जाने के बाद, क्या बताएं किस कदर बेवफ़ा है यह दुनिया, यहाँ लोग भूल जाते ही किसी को दफनाने के बाद !!
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उन्हे शिकायत है हमसे की, हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते है, ना समझ वो क्या जाने हमको तो, हर चेहरे में वो ही नज़र आते है !!
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उन्हें एहसास हुआ है इश्क़ का हमें रुलाने के बाद; अब हम पर प्यार आया है दूर चले जाने के बाद; क्या बताएं किस कदर बेवफ़ा है यह दुनिया; यहाँ लोग भूल जाते ही किसी को दफनाने के बाद।
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उल्फत में अक्सर ऐसा होता है; आँखे हंसती हैं और दिल रोता है; मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी; हमसफर उनका कोई और होता है!
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उसका चेहरा भी सुनाता है कहानी उसकी, चाहता हूँ की सुनूं उससे जुबानी उसकी, वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी, क्योंकि सितम करना भी आदत है पुरानी उसकी !!
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एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है! इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है! उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद! फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है!
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एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है, इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है, उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद, फिर भी हर मोड़ पर उसी का इन्तज़ार क्यों है !!
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एक अजीब सा मंजर नज़र आता है, हर एक आंसू समंदर नज़र आता है, कहाँ रखू मैं शीशे सा दिल अपना, हर किसी के हाथ में पत्थर नज़र आता है !!
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एक दिन हम तुम से दूर हो जायेंगे, अंधेरी गलियों में यूं ही खो जायेंगे, आज हमारी फिक्र नहीं है आपको, कल से हम भी बेफिक्र हो जायेंगे !!
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एक दिन हम तुम से दूर हो जायेंगे; अंधेरी गलियों में यूं ही खो जायेंगे; आज हमारी फिक्र नहीं है आपको; कल से हम भी बेफिक्र हो जायेंगे।
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एक वफ़ा को पाने की कोशिश में, ज़ख़्मी होती है वफ़ाएं कितनी, कितना मासूम सा लगता है लफ्ज़ मोहब्बत, और इस लफ्ज़ से मिलती है सज़ाए कितनी !!
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एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे, वही फ़ासले बनाते गये, हम तो पास आने की कोशिश में थे, ना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये !!
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एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे; वही फ़ासले बनाते गये! हम तो पास आने की कोशिश में थे; ना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये!
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एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा, बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा, टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने, अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा !!
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एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा; बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा; टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने; अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा।
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कदम कदम पे बहारों ने साथ छोड़ दिया; पड़ा जब वक़्त तब अपनों ने साथ छोड़ दिया; खायी थी कसम इन सितारों ने साथ देने की; सुबह होते देखा तो इन सितारों ने साथ छोड़ दिया।
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कदम यूं हीं डगमगा गया रास्ते में, वर्ना संभलना हम भी जानते थे, ठोकर भी लगी तो उस पत्थर से, जिसे हम अपना मानते थे !!
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कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था; सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था; सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है; जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।
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कभी तो सोच तेरे सामने नहीं गुज़रे, वो सब समय जो तेरे ध्यान से नहीं गुज़रे, ये और बात है की उनके दरमियाँ में भी, ये वाकिये किसी तकरीब से नहीं गुज़रे !!
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कम से कम तन्हाई तो साथी है, अपनी जिंदगी के हर एक पल की, चलो ये शिकवा भी दूर हुआ की, किसी ने साथ नहीं दिया !!
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कम से कम तन्हाई तो साथी है; अपनी जिंदगी के हर एक पल की; चलो ये शिकवा भी दूर हुआ कि; किसी ने साथ नहीं दिया।
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कहते है बिना मेहनत किये, आप कुछ पा नहीं सकते, न जाने गम पाने के लिए, कौन सी मेहनत कर ली मैंने !!
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कहने वालों का कुछ नहीं जाता, सहने वाले कमाल करते है, कौन ढूंढें जवाब दर्दो के, लोग तो बस सवाल करते है !!
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कहाँ से लाऊँ हुनर उसे मनाने का, कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का, मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी, क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगाने का !!
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कहाँ से लाऊँ हुनर उसे मनाने का; कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का; मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी; क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगाने का।
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काश आपकी सूरत इतनी प्यारी ना होती, काश आपसे मुलाक़ात हमारी ना होती, सपनो में ही देख लेते हम आपको, तो आज मिलने की इतनी बेकरारी ना होती !!
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काश आपकी सूरत इतनी प्यारी ना होती; काश आपसे मुलाक़ात हमारी ना होती; सपनो में ही देख लेते हम आपको; तो आज मिलने की इतनी बेकरारी ना होती!
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काश वो नगमे हमें सुनाए ना होते, आज उनको सुनकर ये आंसू ना आए होते, अगर इस तरह भूल जाना ही था, तो इतनी गहराई से दिल में समाए ना होते !!
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काश वो नगमें हमें सुनाए ना होते; आज उनको सुनकर ये आंसू ना आए होते; अगर इस तरह भूल जाना ही था; तो इतनी गहराई से दिल में समाए ना होते।
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कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे, कितना दूर है ख्वाब हकीकत के आगे, कोई रुकी हुई सी धड़कन से पूछे, कितना तड़पता है यह दिल मोहब्बत के आगे !!
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कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे; कितना दूर है ख्वाब हकीकत के आगे; कोई रुकी हुई सी धड़कन से पूछे; कितना तड़पता है यह दिल मोहब्बत के आगे।
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कितना समझाया दिल को कि तु प्यार ना कर; किसी के लिए खुद को बेक़रार ना कर; वो तेरे लिए नहीं है नादान; ऐ पागल किसी और की अमानत का इंतज़ार ना कर!
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कितना समझाया दिल को की तु प्यार ना कर, किसी के लिए खुद को बेक़रार ना कर, वो तेरे लिए नहीं है नादान, ऐ पागल किसी और की अमानत का इंतज़ार ना कर !!
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किताबों में कहते है फूल तोडना मना है, बागों में कहते है फूल तोड़ना मना है, फूलों से कीमती चीज़ है दिल, कोई नहीं कहता दिल तोड़ना मना है !!
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किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह; वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह; किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी; छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह।
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किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नही; किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नही; गुनाह हो यह ज़माने की नजर में तो क्या; यह ज़माने वाले कोई खुदा तो नही।
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किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं, किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं, गुनाह हो यह ज़माने की नजर में तो क्या, यह ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं !!
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किसी ने हमें रुलाया तो क्या बुरा किया, दिल को दुखाया तो क्या बुरा किया, हम तो पहले से ही तन्हा थे, किसी ने एहसास दिलाया तो क्या बुरा किया !!
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कुछ आँसू होते है जो बहते नहीं, लोग अपने प्यार के बिना रहते नहीं, हम जानते है आपको भी आती है हमारी याद, पर जाने क्यों आप हमसे कहते नहीं !!
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कुछ आँसू होते हैं जो बहते नहीं; लोग अपने प्यार के बिना रहते नहीं; हम जानते हैं आपको भी आती है हमारी याद; पर जाने क्यों आप हमसे कहते नहीं।
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कोई उम्मीद बर नहीं आती; कोई सूरत नज़र नहीं आती; मौत का एक दिन मु'अय्यन है; नींद क्यों रात भर नहीं आती।
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कोई जुदा हो गया कोई ख़फ़ा हो गया, यह दुनिया के लोगों को क्या हो गया, जिस सजदे में मुझे उस को माँगना था रब से, अफ़सोस वही सजदा क़ज़ा हो गया !!
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कोई जुदा हो गया कोई ख़फ़ा हो गया; यह दुनिया के लोगों को क्या हो गया; जिस सजदे में मुझे उस को माँगना था रब से; अफ़सोस वही सजदा क़ज़ा हो गया।
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कोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता है, अपने हो जाये पराये दुख तो होता है, माना हम नहीं प्यार के काबिल, मगर इस तरह कोई ठुकराये दुख तो होता है !!
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क्यों उन्हे हमारी सदा सुनाई नहीं देती, जाने क्यों वो हमसे जुदा रहता है, लौट आती है इबादत भी मेरी खाली, जाने किस मंज़िल पे खुदा रहता है !!
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खामोश थे हम तो मगरूर समझ लिया, चुप है हम तो मजबूर समझ लिया, यही आप की खुशनसीबी है की हम इतने क़रीब है, फिर भी आप ने दूर समझ लिया !!
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खामोश थे हम तो मगरूर समझ लिया; चुप हैं हम तो मजबूर समझ लिया; यही आप की खुशनसीबी है कि हम इतने क़रीब हैं; फिर भी आप ने दूर समझ लिया!
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खुदा जाने प्यार का दस्तूर क्या होता है, जिन्हे अपना बनाया वो न जाने क्यों दूर होता है, कहते है की मिलते नहीं ज़मीन आसमान, फिर न जाने क्यूँ, आसमान ज़मीन का सरूर होता है !!
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खुदा जाने, प्यार का दस्तूर क्या होता है; जिन्हें अपना बनाया, वो न जाने क्यों दूर होता है; कहते हैं कि मिलते नहीं ज़मीन आसमान; फिर न जाने क्यूँ, आसमान ज़मीन का सरूर होता है!
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गर्मिये हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं; हम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैं; शमा जलती है जिस आग में नुमाइश के लिए; हम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैं; जब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ; जाने क्यों लोग मेरे नाम से जल जाते हैं।
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चंद कलियाँ निशात की चुनकर, मुद्दतो मायूस रहता हूँ, तेरा मिलना ख़ुशी की बात ही सही, तुझसे मिलकर उदास रहता हूँ !!
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चांदनी रात बड़ी देर के बाद आयी, ये मुलाक़ात बड़ी देर के बाद आयी, आज आये है वो मिलने को बड़ी देर के बाद, आज की रात बड़ी देर के बाद आयी !!
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जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते, ख़त किसलिए रखे है जला क्यों नहीं देते, किस वास्ते लिखा है हथेली पे मेरा नाम, मैं हर्फ़ ग़लत हूँ तो मिटा क्यों नहीं देते !!
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जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते; ख़त किसलिए रखे हैं जला क्यों नहीं देते; किस वास्ते लिखा है हथेली पे मेरा नाम; मैं हर्फ़ ग़लत हूँ तो मिटा क्यों नहीं देते।
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ज़ख्म देने की आदत नहीं हमको, हम तो आज भी वो एह्साह रखते है, बदले-बदले तो आप है जनाब, हमारे अलावा सबको याद रखते है !!
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जाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गए, यादों के साये भी हमसे दूर हो गए, हो गए तन्हा इस महफ़िल में, की हमारे अपने भी हमसे दूर हो गए !!
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जाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गए; यादों के साये भी हमसे दूर हो गए; हो गए तन्हा इस महफ़िल में; कि हमारे अपने भी हमसे दूर हो गए।
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जाने दुनियां में ऐसा क्यों होता है, जो सब को ख़ुशी दे, वही क्यों रोता है, उम्र भर जो साथ ना दे सके, वही ज़िंदगी का पहला प्यार क्यों होता है !!
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जो आँसू दिल में गिरते है वो आँखों में नहीं रहते, बहुत से हर्फ़ ऐसे है जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते, किताबों में लिखे जाते है दुनिया भर के अफ़साने, मगर जिन में हक़ीक़त हो वो किताबो में नहीं रहते !!
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जो आँसू दिल में गिरते हैं वो आँखों में नहीं रहते; बहुत से हर्फ़ ऐसे हैं जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते; किताबों में लिखे जाते हैं दुनिया भर के अफ़साने; मगर जिन में हक़ीक़त हो वो किताबों में नहीं रहते।
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तकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी; तकदीर में किसी और का नाम लिखा था; और दिल में चाहत किसी और की भर दी
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तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी! आज वो क्यों मेरे साए से कतराते हैं! हम भी वही हैं दिल भी वही है! न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं!
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तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी, आज वो क्यों मेरे साए से कतराते है, हम भी वही है दिल भी वही है, न जाने क्यों लोग बदल जाते है !!
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तु कहीं भी रह तेरे सर पे इल्जाम तो है, तेरी हाथों की लकीरों में मेरा नाम तो है, मुझे अपना बना या ना बना तेरी मर्जी, पर तु मेरे नाम से बदनाम तो है !!
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तु वो ज़ालिम है जो दिल में रहकर, भी मेरा ना बन सका, और दिल वो काफ़िर है जो, मुझ में रहकर भी तेरा हो गया !!
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तुझसे दोस्ती करने का हिसाब ना आया, मेरे किसी भी सवाल का जवाब ना आया, हम तो जागते रहे तेरे ही ख्यालो में, और तुझे सो कर भी हमारा ख्वाब ना आया !!
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तुझसे दोस्ती करने का हिसाब ना आया; मेरे किसी भी सवाल का जवाब ना आया; हम तो जागते रहे तेरे ही ख्यालों में; और तुझे सो कर भी हमारा ख्वाब ना आया।
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तुझे मोहब्बत करना नहीं आता, मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ आता नहीं, ज़िंदगी गुज़ारने के दो ही तरीके है, एक तुझे नहीं आता, एक मुझे नहीं आता !!
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तुझे मोहब्बत करना नहीं आता, मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ और नहीं आता, ज़िन्दगी गुजारने के बस दो ही तरीके है, एक तुझे नहीं आता और एक मुझे नहीं आता !!
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तुझे मोहब्बत करना नहीं आता; मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ आता नहीं; ज़िंदगी गुज़ारने के दो ही तरीके हैं; एक तुझे नहीं आता, एक मुझे नहीं आता!
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तुझे मोहब्बत करना नहीं आता; मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ और नहीं आता; ज़िन्दगी गुजारने के बस दो ही तरीके हैं; एक तुझे नहीं आता और एक मुझे नहीं आता।
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तुम दुआ हो मेरी सदा के लिए, मैं जिंदा हूँ तुम्हारी दुआ के लिए, कर लेना लाख शिकवे हमसे, मगर कभी खफा न होना खुदा के लिए !!
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तुम ने चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थे; तेरे आाँसू मेरी आँखों से निकल सकते थे; तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह; दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे।
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तुमने चाहा ही नहीं, हालात बदल सकते थे, तेरे आंसू मेरी आँखों से निकल सकते थे, तुम तो ठहरे रहे झील के पानी की तरह, दरिया बनते तो बहुत दूर निकल सकते थे !!
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तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया, कितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ, कितने धुंधले है ये चेहरे जिन्हें अपनाया है, कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ !!
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तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया; कितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ; कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है; कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
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तेरी नज़रो से दूर जाने के लिए तैयार तो थे हम, फिर इस तरह नज़रे घुमाने की जरूरत क्या थी, तेरे एक इशारे पे हम इल्जाम भी अपने सिर ले लेते, फिर बेवजह झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी !!
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तेरी नज़रों से दूर जाने के लिए तैयार तो थे हम; फिर इस तरह, नज़रें घुमाने की जरूरत क्या थी; तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम भी अपने सिर ले लेते; फिर बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी।
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