Mirza Ghalib Shayari

Mirza Ghalib Shayari
“मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू और फ़ारसी के महानतम शायरों में से एक थे, जिन्होंने अपनी शायरी में इश्क़, दर्द, और ज़िंदगी के पहलुओं को अद्भुत सुंदरता से उकेरा। ग़ालिब की शायरी दिल की गहराइयों को छूने वाली और सोच को झकझोर देने वाली होती है। उन्होंने शब्दों के जरिए भावनाओं और अनुभवों को इस कदर बयाँ किया है कि हर पाठक को उनका हिस्सा महसूस होता है।”
Mirza Ghalib Shayari के इस में आपको मिर्जा गालिब की शायरी पढ़ने का अवसर मिलेगा, जिन्हें आप अपने दोस्तों के साथ साझा कर पाओगे। ऐसी ही कुछ Ghalib Shayari निम्नलिखित हैं;
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’ कि लगाए न लगे और बुझाए न बने वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था। रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ‘ग़ालिब’, कहते हैं अगले ज़माने में कोई ‘मीर’ भी था। मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यूँ रात भर नहीं आती। https://novelsoul.org/