Date : January 25, 2025


Love Shayari in Hindi

Love Shayari in Hindi

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Shyari in Hindi: ​शायरी के माध्यम से हम अपनी भावनाओं को न केवल व्यक्त कर सकते हैं, बल्कि दूसरों की भावनाओं को भी समझ सकते हैं। यह एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो भाषा की सीमाओं को पार कर सभी दिलों को जोड़ता है। मिर्ज़ा ग़ालिब, मीर तकी मीर, फैज़ अहमद फैज़, अहमद फ़राज़, गुलज़ार, और जावेद अख्तर जैसे शायरों ने शायरी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों के दिलों में बसती हैं और उन्हें प्रेरित करती हैं।

बदल जाओ वक्त के साथ

बदल जाओ वक्त के साथ
या फिर वक्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसो
हर हाल में चलना सीखो

समंदर को गुमान!

सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है।

पहले ही चल दिए आंसू

लिखना था कि
खुश हैं तेरे बगैर भी यहां हम,
मगर कमबख्त…
आंसू हैं कि कलम से
पहले ही चल दिए।

भटक रहा था वो

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धड़क रहा था वो।
प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है,
आंसू मेरे थे और सिसक रहा था वो।

शिकवा-ए-गम किससे कहें

अब जानेमन तू तो नहीं,
शिकवा -ए-गम किससे कहें
या चुप हें या रो पड़ें,
किस्सा-ए-गम किससे कहें।

मस्त शायरी

जो दिल के करीब थे ,वो जबसे दुश्मन हो गए
जमाने में हुए चर्चे ,हम मशहूर हो गए

शायरी

अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो

ये कैसी रिहाई?

सिर्फ एक सफ़ाह
पलटकर उसने,
बीती बातों की दुहाई दी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी
रिहाई दी है।
-गुलज़ार

बेकार ही खुल गया

बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ज़ार खुल गया
मैं आज उसके सामने बैठकर बेकार खुल गया। -मुनव्वर राणा

वो दिल नहीं है

जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं है, वो दिल नहीं है, दिल नहीं है, दिल नहीं है।

मैं फूंक देना चाहता हूं

बहुत कुछ है जिसे मैं फूंक देना चाहता हूं…

तुम ज़माने के हो

तुम ज़माने के हो हमारे सिवाय
हम किसी के नहीं, तुम्हारे हैं

वो परिंदा गुरूर नहीं करता

वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता
जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है

कोई राय न बनाना

मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा तेरी राय भी…!

आंसू

एक आंसू भी
हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं
आंखों का समुंदर होना
-मुनव्वर राणा

तुझसे गिला नहीं

मैं तो इस वास्ते चुप हूं कि तमाशा न बने
और तू समझता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं!

उठता नहीं धुआं

चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआं।
-गुलजार

तनहाई ने थामा हाथ

छोड़ दिया मैंने अपने दिल का साथ,
प्यार ने थाम लिया है तनहाई का हाथ।
इतना तो गुरूर है मुझे आज
भले अहसासों ने छोड़ा, तनहाई न होगी दगाबाज़।

दोबारा मोहब्बत!

तमु लौटकर आने की तकलीफ दोबारा मत करना,
हम एक बार की गई मोहब्बत दोबारा नहीं करते!

वो लहू क्या है

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
-मिर्जा ग़ालिब

रिश्ते तरसते हैं जगह को

ख्वाहिशों से भरा पड़ा है मेरा घर इस कदर
रिश्ते जरा-सी जगह को तरसते हैं।
-गुलज़ार

शिकायत हवा से

कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से,
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है

उसकी ख्वाहिश किसे है

मिल सके जो आसानी से
उसकी ख्वाहिश किसे है
जिद्द तो उसकी है जो
मुकद्दर में लिखा ही नहीं है।

मरने के लिए मोहब्बत!

परवाने को शमा पर जलकर
कुछ तो मिलता होगा
यूं ही मरने के लिए कोई
मोहब्बत नहीं करता…

दुश्मन भी मेरे मुरीद

दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं।
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रू-ब-रू होने पर सलाम किया करते हैं।