famous poet jaun elia

famous poet jaun elia के लिखे 20 बेहतरीन शेर
जौन एलिया की शायरी में गहराई, विचारों की स्पष्टता, और भावनाओं की तीव्रता है। उनकी कविताएँ प्रेम, दुख, अस्तित्व और मानवता पर आधारित हैं। उनकी शैली सरल भाषा में होते हुए भी गहरे विचारों को व्यक्त करती है। उनके जीवन संघर्षों ने उनकी कविताओं को और भी अधिक प्रभावशाली बना दिया है। आज भी उनकी कविताएँ उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और नई पीढ़ी के शायरों को प्रेरित करती हैं।
जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता एक ही शख़्स था जहान में क्या बहुत नज़दीक आती जा रही हो बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या कौन इस घर की देख-भाल करे रोज़ इक चीज़ टूट जाती है कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने उस गली ने ये सुन के सब्र किया जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं क्या कहा इश्क़ जावेदानी है! आख़िरी बार मिल रही हो क्या कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को अब जो रिश्तों में बँधा हूँ तो खुला है मुझ पर कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं परों के होते हर शख़्स से बे-नियाज़ हो जा फिर सब से ये कह कि मैं ख़ुदा हूँ आज बहुत दिन ब'अद मैं अपने कमरे तक आ निकला था जूँ ही दरवाज़ा खोला है उस की ख़ुश्बू आई है अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी ये वार कर गया है पहलू से कौन मुझ पर था मैं ही दाएँ बाएँ और मैं ही दरमियाँ था हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-ख़राब यही मुमकिन था इतनी उजलत में सारी गली सुनसान पड़ी थी बाद-ए-फ़ना के पहरे में हिज्र के दालान और आँगन में बस इक साया ज़िंदा था इक अजब आमद-ओ-शुद है कि न माज़ी है न हाल 'जौन' बरपा कई नस्लों का सफ़र है मुझ में हमला है चार सू दर-ओ-दीवार-ए-शहर का सब जंगलों को शहर के अंदर समेट लो ज़िन्दगी जीने का मज़ा चख लिया, अब मौत का भी इंतज़ार बाकी है।