Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi

Faiz Ahmad Faiz Shayari: कर रहा था ग़म-ए-जहां का हिसाब, आज तुम याद बेहिसाब आए.., पढ़ें फैज़ अहमद फैज़ के 21 खूबसूरत शेर
Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi: फैज़ अहमद फैज़ शेर-ओ-शायरी से सजे फलक के सबसे तमकदार सितारों में से एक थे। उनकी शायरी में अहसास, बदलाव, प्रेम और सुकुन सब कुछ था। वह जहां अपनी क्रांतिकारी नगमों के लिए पसंद किये गए तो वहीं प्रेम में डूबे रसिक रंग को भी उन्होंने अपनी कलम से बखूबी सजाया। मशहूर नगमानिगार फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने अपनी रचनाओं से सत्ता को भी ललकारा। फैज़ की कलम में ऐसा जादू था कि लोग बस उसी में खो कर रह जाते थे। पढ़िए फैज़ अहमद पैज़ के कुछ खूबसूरत शेर:
1. और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
2. दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
3. उतरे थे कभी ‘फ़ैज़’ वो आईना-ए-दिल में
आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का
4. कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
5. फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमाएं जलीं
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम
6. जो दिल से कहा है जो दिल से सुना है
सब उन को सुनाने के दिन आ रहे हैं
7. और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
8. उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगर
कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं
9. इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा
इक चेहरा कुम्हला जाने से कितने दिल नाशाद हुए
10. अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें
दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें
11. आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के बाद आए जो अज़ाब आए
12. और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
13. दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
14. तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
15. वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
16. वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
17. दिल से तो हर मोआ’मला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई
18. गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
19. आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के बा’द आए जो अज़ाब आए
20. वीरां है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं
तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के
21. दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
Faiz Ahmad Faiz.
बता दें कि पंजाबी मूल के शायर फैज़ अहमद फैज़ को नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था। उनपर इस्लामी कट्टरपंथियों ने कम्युनिस्ट होने का आरोप लगाते रहे तो वहीं गैर मुसलमान उन्हें कट्टर इस्लामिस्ट के तौर पर देखते थे। लेकिन कुछ तो बात थी फैज़ की कलम में कि कोई भी उन्हें नजरअंदाज नहीं कर पाया। उम्मीद करते हैं कि आपने भी उनके इन खूबसूरत शेरों को नजरअंदाज नहीं किया होगा। अगर आपको ये शेर पसंद आए हों तो आप इन्हें अपनों के साथ शेयर भी कर सकते हैं।