Gulzar poetry on life in 2 lines

Gulzar poetry on life in 2 lines
गुलज़ार साहब एक प्रमुख भारतीय कवि, गीतकार, और फ़िल्म निर्देशक हैं। उनका जन्म 18 अगस्त 1936 को पाकिस्तान के डेरा गाज़ी ख़ान में हुआ था। गुलज़ार साहब अपनी अद्वितीय लेखनी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए कई यादगार गाने लिखे हैं और कई फ़िल्मों का निर्देशन भी किया है। उनकी कविताओं और गीतों में अक्सर प्यार, दुख और जीवन की जटिलताओं की भावनात्मक छवियाँ होती हैं। गुलज़ार की शायरी लोगों में लोकप्रिय हैं, जो अलग-अलग भावनाओं पर लिखी गई हैं। इसलिए इस ब्लॉग में गुलज़ार की शायरी दी गई हैं 2 लाइन में जिंदगी पर गुलज़ार की शायरी .
2 लाइन में जिंदगी पर गुलज़ार की शायरी कुछ इस प्रकार है
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मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो? नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
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उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और, ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
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तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी, जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
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एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की।
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हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते, वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते।
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तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं, बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।
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कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था, आज की दास्ताँ हमारी है।
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एक सो सोलह चाँद की रातें , एक तुम्हारे कंधे का तिल। गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे, सब याद करादो, सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो।।
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मैंने मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी। कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं, जीना ही छोड़ देता हैं।।
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लकीरें हैं तो रहने दो, किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी, उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।।
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एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा, ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।”
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ज़रा ये धुप ढल जाए ,तो हाल पूछेंगे , यहाँ कुछ साये , खुद को खुदा बताते हैं।
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हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते
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ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं
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ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
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ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
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खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।
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ज़िन्दगी गुलज़ार है इसलिए यहाँ ग़मों को बांटना बेकार है।
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ज़िन्दगी और जुबां तब तक शांत रहती जब तक सब कुछ बेहतर रहता है।
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परायों से जीतने में इतनी ख़ुशी नहीं मिलती जितनी कभी-कभी अपनों से हार कर मिल जाती है।
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ज्यादा वो नहीं जीता जो ज्यादा सालों तक ज़िंदा रहता है, बल्कि ज़्यादा वो जीता है जो ख़ुशी से जीता है।
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दूर से सबको दूसरों की ज़िन्दगी अच्छी लगती है पर अगर सब नज़दीक से अपनी ज़िन्दगी देखेंगे तो सबको अपनी ज़िन्दगी अच्छी लगने लगेगी।
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शायर बनना बहुत आसान हैं, बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।